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लेखनी कहानी -17-Oct-2022 बसंत पंचमी (भाग 11)


                शीर्षक :- बसंत पंचमी
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        हमारे ऋतुऔ का राजा बसंत को ही कहा जाता है। पतझड़ होने के बाद बसंत ऋतु का आगमन होता है। बसंत ऋतु मे सभी बृक्ष फूल व पत्तौ से परिपूर्ण दिखाई देते है। यह ऋतु  प्रेमियौ के लिए बहुत सुन्दर होती  है क्यौकि बसंत ऋतु मे पूरी धरा हरियाली से ढक जाती है

              बसंत पंचमी का यह त्योहार सभी मनाते है।  माघ शुक्ल पंचमी का दिन ऋतुराज बसन्त के आगमन का प्रथम दिन माना जाता है। बसन्त पंचमी हमारे आनन्द के अतिरेक का प्रतीक है । सभी भारतीय इस पर्व को हर्षोउल्लास से मनाते हैं। इस दिन मां सरस्वती का पूजन किया जाता है साथ ही बसंत पंचमी व्रत कथा सुनी जाती हैं। इस दिन सभी लोग चाहे वह लेखक हो, गायक हो, नाटककार हो, नृत्य-संगीतकार हो, शिक्षक, विद्यार्थी, सभी अपने दिन की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना से करते हैं।

                 हमारे   उपनिषदों की कथा के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान शिव की आज्ञा से ब्रह्मा जी ने प्रकृति जीवो खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की, लेकिन वे अपनी सृजनता से संतुष्ट नहीं थे जिसके कारण चारों और मोन व्याप्त था। तब ब्रह्मा जी ने इस समस्या के निवारण के लिए अपने कमंडल में से जल लेकर छिड़का और भगवान विष्णु की स्तुति करने लगे, स्तुति सुन भगवान विष्णु ब्रह्मा जी के समक्ष प्रकट हुऐ। उनकी समस्या जानकर भगवान विष्णु ने आदिशक्ति मां दुर्गा का आवाहन किया।

             विष्णु जी द्वारा आवाहन होने पर भगवती मां दुर्गा वहां तुरंत ही प्रकट हो गई। तब ब्रह्मा जी और विष्णु जी ने उनसे इस संकट को दूर करने का निवेदन किया। उसी क्षण आदि शक्ति मां दुर्गा के शरीर से एक श्वेत रंग का भारी तेज उत्पन्न हुआ जो एक दिव्य नारी के रूप में बदल गया। यह स्वरूप एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी।


                  प्रकट होते ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया जिससे संसार के सभी जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया और पवन चलने पर सरसराहट होने लगी। तब सभी देवी देवताओं ने शब्द और रस का संचार कर देने वाली उन देवी को वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती कहां। तब आदि शक्ति मां दुर्गा ने ब्रह्मा जी से कहा यह देवी सरस्वती आपकी अर्धांगिनी बनेगी। जिस प्रकार लक्ष्मी जी श्री विष्णु जी की शक्ति है, पार्वती शिव जी की शक्ति है, उस प्रकार देवी सरस्वती आपकी शक्ति होंगी।

                     आदि शक्ति देवी दुर्गा  ऐसा कहकर अंतर्ध्यान हो गई और सभी देवी देवता सृष्टि संचालन में संलग्न हो गए। पुराणों के अनुसार श्री कृष्ण जी ने देवी सरस्वती को वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन आपकी आराधना की जाएगी। वरदान के फल स्वरुप वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा होने लगी जो आज तक जारी है।

             उस समय से ही हमारे देश में समान रूप से बसंत ऋतु को मनाया जाता है। इसदिन सभी स्त्री व पुरुष विभिन्न  परिधानौ से सज धज कर सरस्वती माँ की पूजा करते है इस दिन पीत बस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।

           इस दिन हमारे घरौ मे विभिन्न प्रकार के पकवान बनाये जाते है। पकवानौ से माँ की पूजा करके उनको हम सभी मिलकर खाते है।


30 Days Festival Competition  हेतु रचना

नरेश शर्मा " पचौरी "

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5 Comments

Haaya meer

03-Nov-2022 09:44 PM

Amazing

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shweta soni

01-Nov-2022 06:28 PM

बेहतरीन रचना

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Abeer

30-Oct-2022 11:46 PM

बहुत सुंदर

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